The Definitive Guide to Shodashi
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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥
सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं
Her 3rd eye signifies increased perception, assisting devotees see beyond Bodily appearances for the essence of reality. As Tripura Sundari, she embodies appreciate, compassion, plus the joy of existence, encouraging devotees to embrace lifestyle with open hearts and minds.
संहर्त्री सर्वभासां विलयनसमये स्वात्मनि स्वप्रकाशा
When Lord Shiva read with regards to the demise of his wife, he couldn’t Manage his anger, and he beheaded Sati’s father. Continue to, when his anger was assuaged, he revived Daksha’s lifetime and bestowed him that has a goat’s head.
ह्रीं श्रीं क्लीं त्रिपुरामदने सर्वशुभं साधय स्वाहा॥
Hence the many gods asked for Kamadeva, the god of affection to create Shiva and Parvati get married to each other.
बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।
कामाकर्षिणी कादिभिः स्वर-दले गुप्ताभिधाभिः सदा ।
लक्ष्या या चक्रराजे नवपुरलसिते योगिनीवृन्दगुप्ते
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥५॥
The philosophical Proportions of Tripura Sundari extend beyond her Bodily attributes. Shodashi She represents the transformative power of beauty, which could guide the devotee within the darkness of ignorance to The sunshine of information and enlightenment.
, kind, where she sits atop Shivas lap joined in union. Her traits are endless, expressed by her 5 Shivas. The throne on which she sits has as its legs the 5 kinds of Shiva, the popular Pancha Brahmas
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।